नगालैंड राज्य में लगा आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 (AFSPA ) अगले 6 महीने तक लागू रहेगा। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि नगालैंड में लगा अफस्पा कानून अगले 6 महीनों तक राज्य में प्रभावी रहेगा। बीते 4 दिसम्बर को नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में एक ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों ने एक पिक-अप वैन पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें काम से लौट रहे 13 आम नागरिकों की मौत हो गई थी। इसके बाद एक अन्य गांव वाले की मौत प्रदर्शन के दौरान हुई फायरिंग में हो गई थी। जिसके बाद सुरक्षा बलों ने माना था कि यह फायरिंग गलतफहमी के कारण हुई थी। इस घटना में एक जवान समेत 15 लोगो कि मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद से ही नगालैंड में इस कानून को हटाने की मांग जोरो से उठने लगी थी, वहीं नागालैण्ड के मुख्यमंत्री नीफियू रियो ने गृह मंत्री अमित शाह से उनके राज्य में लागू AFSPA कानून हटाने की मांग की थी।

केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि वर्तमान में नगालैंड बेहद अशांत और खतरनाक स्थिति में है इसलिए नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सशस्त्र बलों का इस्तेमाल आवश्यक है।
• क्या है AFSPA
सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को 11 सितंबर 1958 में उपद्रवग्रस्त पूर्वोत्तर इलाके में सेना को कार्यवाही में मदद के लिए पारित किया गया था।
• किसी भी राज्य या क्षेत्र में यह कानून क्यों लागू किया जाता हैं अफस्पा– अफस्पा कानून किसी भी राज्य या क्षेत्र में तब लागू किया जाता है, जब राज्य या केंद्र सरकार उस क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र कानून’ अर्थात डिस्टर्बड एरिया एक्ट (Disturbed Area Act) घोषित कर देती है। यह कानून जहा पर भी लागू होता है वहां सेना या सशस्त्र बल को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई का अधिकार मिल जाता है।
• क्या होता हैं ‘डिस्टर्ब’ एरिया
जब किसी भी क्षेत्र में भाषायी, नस्लीय,धार्मिक, क्षेत्रीय समूहों, जातियों की विभिन्नता के आधार पर समुदायों के बीच आपसी मतभेद बढ़ जाता है तो ऐसी स्थिति में केंद्र या राज्य सरकार अधिनियम की धारा (3) के तहत किसी भी क्षेत्र को ‘डिस्टर्ब’ एरिया’ में घोषित कर देती हैं। और ‘डिस्टर्ब’ एरिया’ घोषित करते ही वहां अफस्पा कानून प्रभावी हो जाता हैं और उस क्षेत्र में महीने तक सेना या सशस्त्र बल की तैनाती रहती है।
• आखिर क्यों हो रहा हैं AFSPA कानून का विरोध
सुरक्षा बलों पर कई बार डिस्टर्बड एरिया एक्ट का दुरुपयोग करने का आरोप लग चुका है। क्योंकि इसमें किसी को भी केवल शक के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है या उस पर कार्रवाई की जा सकती है। यही कारण है कि इस कानून को हटाने की हमेशा मांग उठती रही हैं।