नई दिल्ली- तमिलनाडु के कुन्नूर में आज सेना का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया है, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल विपिन रावत व उनकी पत्नी समेत 14 लोग सवार थे। इस हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई है तो वहीं 3 घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। बाकी अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।
इस हेलीकॉप्टर हादसे के बाद सेना बचे हुए शवों को खोजने के साथ ही एक अहम चीज भी ढूढ़ रही है वह हैं हेलीकॉप्टर में लगा हुआ “ब्लैक बॉक्स” जिसे सेना घटना स्थल पर खोज रही है। तो आइए जानते है की आखिर ये “ब्लैक बॉक्स” क्या होता हैं।

“ब्लैक बॉक्स”
किसी भी हेलीकॉप्टर या विमान में ब्लैक बॉक्स एक ऐसा उपकरण होता हैं जो फ्लाइट रिकार्डर की तरह काम करता है। और यह यह किसी भी विमान में उड़ान के दौरान होने वाली सभी गतिविधियों को बारीकी से रिकॉर्ड करता हैं।इस बॉक्स को सुरक्षा की दृष्टि से विमान के पिछले हिस्से में फिट किया जाता है।
• ऊंचाई से गिरने के बावजूद भी सलामत बच जाता हैं यह बॉक्स
दरअसल ये ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम का बना होता है जो काफी मजबूत धातु मानी जाती है। इस ब्लैक बॉक्स को टाइटेनियम के ही एक डिब्बे में बंद करके रखा जाता है। ताकि ऊँचाई से जमीन पर गिरने या समुद्री पानी में गिरने की स्थिति में भी इस बॉक्स को कम से कम नुकसान पहुंचे।
ब्लैक बॉक्स किसे कहते हैं?
‘ब्लैक बॉक्स’ वायुयान में उड़ान के दौरान विमान से जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण होता है। इसे या फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर भी कहा जाता है। आम तौर पर इस बॉक्स को सुरक्षा की दृष्टि से विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है।
•”ब्लैक बॉक्स” का इतिहास
वर्ष 1953-54 में हवाई हादसों की बढती हुई संख्या को देखते हुए विमान में एक ऐसे उपकरण को लगाने की बात की जाने लगी जो कि विमान हादसे के कारणों और उस दौरान हुई हर घटना के संबन्ध में सटीक जानकारी दे सकें।
जिसके बाद ब्लैक बॉक्स का अविष्कार किया गया।
हालांकि शुरुआत में इसके लाल रंग के कारण इसे ‘रेड एग’ कहा जाता था। जिसके बाद इसका नाम ब्लैक बॉक्स पड़ गया क्योंकि शुरूआती दिनों में बॉक्स की अंदर की दीवार को काला रखा जाता था।
• दो तरह के होते हैं ‘ ब्लैक बॉक्स’
1. पहला ब्लैक बॉक्स फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर : इस ब्लैक बॉक्स में विमान की दिशा, ऊँचाई ,ईंधन,गति, हलचल, केबिन का तापमान समेत 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की जानकारी को रिकॉर्ड करके रखता हैं। यह बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है।
2. दूसरा कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर: यह बॉक्स विमान में अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को रिकॉर्ड करता है। यह बॉक्स इंजन की आवाज, आपातकालीन अलार्म की आवाज , केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है। जिससे हादसे के बाद पता लगाया जा सके की हादसे के पहले विमान का माहौल किस तरह का था।