नई दिल्ली- आज यानी 13 दिसम्बर 2001 को देश की राजधानी दिल्ली स्थित संसद भवन पर लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियो ने अपना कहर बरपाया था और लोकतंत्र के मंदिर में कई लोगो की जान ली थी। इस हमले में दिल्ली पुलिस के 6 जवान और संसद भवन की सुरक्षा सेवा के दो कर्मचारी और संसद के एक माली और आतंकियों समेत 14 लोगो की मौत हो गई थी। करीब 45 मिनट तक चली इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 5 आतंकवादियों को मार गिराया था।
संसद भवन में जिस वक्त जिस समय यह हमला हुआ था. उस वक्त संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और संसद के दोनों सदन कुछ देर के लिए स्थगित हुए थे। अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी संसद भवन से रवाना हो चुके थे और लालकृष्ण आडवाणी समेत 100 अन्य लोग उस समय संसद भवन में ही मौजूद थे।
सफेद रंग की कार में बैठ कर आए थे आतंकवादी
हमले की सुबह संसद भवन परिसर में एक सफेद रंग की एम्बेसडर संख्या DL-3 CJ 1527 तेज रफ्तार से प्रवेश किया और प्रवेश करते ही सबसे पहले उपराष्ट्रपति की कार को टक्कर मारी। जिसके बाद उपराष्ट्रपति की कार के ड्राइवर और आतंकियों के बीच बहस शुरु हो गई और देखते ही देखते आतंकियों ने बन्दूक निकाल दी और चालाक को पीछे हटना पड़ा फिर क्या था वहां मौजूद पुलिस एएसआई ने आतंकियों पर रिवॉल्वर तान दी जिसके बाद संसद परिसर में गोलियों की बौछार शुरू हो गई। भवन के चारों ओर गोलियों की तड़तड़ाहट ही सुनाई देने लगी और देखते ही देखते संसद परिसर जंग के मैदान में तब्दील हो गया। वहीं अफरा तफरी के माहौल के बीच एक आतंकी ने खुद को संसद भवन के गेट के पास बम से उड़ा लिया। जिसके बाद सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और आतंकवादियों को चारों ओर से घेरकर एक एक करके सभी आतंकियों को मार गिराया था। आतंकियों की गाड़ी की छानबीन करने पर पता चला की वह उस गाड़ी में भारी मात्रा में अपने साथ आरडीएस लेकर आए थे लेकिन सुरक्षाबलों की तत्परता से आतंकियों के नापाक इरादे कामयाब नहीं हो सके।
जिसके बाद से हर वर्ष 13 दिसम्बर को संसद की रक्षा में शहीद हुए शूरवीरों को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैं।
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